इस कविता में राजीव कृष्ण सक्सेना जी ने आम आदमी के बारे में लिखा है जो हर दुःख दर्द सहता है पर फिर भी इस भागम भाग भरी ज़िन्दगी में कुछ खुशी के पल भी खोज ही लेता है ।



मेरी राय है की
सब कुछ सह कर भी, आगे बढ़ने का, है जो आत्म बल
वही है, आम आदमी के जीवन का संबल ।
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